आज सुबह से ठंडी हवा चल रही है, मौसम ठंडा है, वही सुबह की मेरी दिनचर्या , राजन तो नवरात्रि की पूजा में व्यस्त रहते हैं, नवरात्रि हमारे लिए विशेष रहती भी है,,,क्योंकि हम अयोध्यावासी माँ दुर्गा के भक्त हैं , कोई विशेष कारन नहीं है मगर जब तकलीफ आती है तो सबसे पहला शब्द "माँ" ही निकलता है ,और माँ शब्द के बाद कुछ बाद बचता भी तो नहीं बस माँ की खूबसूरत मूर्ती , मूर्ति से मुझे याद आया हमरे घर के मंदिर में माँ दुर्गा की मूर्ती जो हमने अयोध्या से खरीदी थी , उनके वस्त्र और मुकुट भी वही से खरीदे थे,,,मगर अब हर नवरात्र में माँ के १० से १२ वस्त्र सिलते हैं और पूरे वर्ष माँ इन्ही वस्त्रों को पहनती हैं और इस बार तो हमें उनके लिए दो मुकुट भी मिल गए,,,वो जो भी पहनती है सब कुछ उन पर बहुत सुंदर लगता है..आपको पता है माँ के चेहरे को ध्यान से दखती हूँ तो कभी लगता है वो मंद मंद मुस्करा रही हैं मगर कभी कभी शांत रहती हैं,,,जाने क्या रहस्य है उनके चेहरे का,,,हाँ आज पांचवा दिन है और सुबह उठकर मेरे पति राजन द्वारा पहनाये गए उनके वस्त्रों को देखती हूँ फिर, उनकी पूजा, हवन सब मैं भी इस क्रिया को आगे बढाती हूँ,,,,बैंगलोर में एक स्थान दूसरे स्थान से बहुत दूर है मगर त्यौहार तो सभी मानते हैं,,,,षष्ठी के बाद माँ के दर्शन की प्रक्रिया प्रारंभ होगी,,,ऑफिस के बाद समय मिलेगा तो हम भी जायेंगे माँ के दर्शन को ....,माँ तो माँ है हमारी आपकी पूरे विश्व की....आशा है आप सब भी इसी तरह माँ की पूजा करते होंगे,,,,जय माता दी,,,,
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