सोमवार, 22 अक्टूबर 2012

माँ सिद्धिधात्री -माँ का नवां रूप

आज माँ के नव रूप में माँ सिद्धिधात्री का नवा रूप है, माँ ने आज पीले रंग के वस्त्र को धारण किया था , आज अंतिम दिन सभी के मन में उल्लास है , और क्यों ना हो इसी वजह से हमारा पूरा वर्ष निर्भर होता है, मैं नियमित से गीता पढ़ती हूँ...एक लाल रंग की छोटी सी श्री गीता जी मेरे पास हैं जिसमे संजय द्वारा उल्लेखित श्री कृष्ण का अर्जुन को उपदेश और हर अध्याय के बाद उस अध्याय का महात्म्य है, , पूरे १८ अध्याय को एक एक दिन दिन में पढ़ती हूँ, एक दिन अध्याय और उसके अगले दिन उसका महात्म्य ,,लेकिन आज तक लगा की पहली बार पढ़ रही हूँ,,,आज माँ के नव दिवस पर मैंने ११ वां अध्याय पढ़ा , जिसमे कृष्ण का विराट स्वरुप और अर्जुन की याचना उन्हें पुनः पूर्व रूप में देखने की, (भगवन आप तो पूर्व  से भी पूर्व हो) कहने का  तात्पर्य है की माँ का अंतिम रूप और श्री गीता के भगवान् के स्वरुप  दोनों का संगम बहुत सुंदर लगा, मन और कर्म से आलसी हूँ लेकिन जब इन पवित्र शब्दों के संसर्ग में आती हूँ तो
अजीब सी अनुभूति का एहसास होता है...

आज माँ के जागरण में शिरकत करना है, माँ का प्रसाद पाना है , सब उन्ही की कृपा से संभव है,,,,,आप सबको भी माँ के नव रूपों का आशीर्वाद मिले,,,,,
                                जय माता दी,,,
















माँ का आठवाँ रूप- शुभ अष्टमी

आज सोमवार भगवान् शिव का दिन और माँ दुर्गा नवरात्रि अष्टमी का दिन , आज माँ ने लाल रंग का वस्त्र धारण किया है, और नव आभूषण भी
धीरे धीरे नवरात्रि नव रूप तक पहुँच रही है, माँ का प्रसाद मिल रहा है,
भारत वर्ष में ये नव दिन शायद इतने लम्बे समय का कोई त्यौहार नहीं
और धरा की पावनता बढ़ जाती है.

कल हमें माँ के जागरण में जाना है , मन में बहुत ही उत्साह है, मेरे एक

बंधू हर वर्ष इसका आयोजन करते हैं,...माँ   को लाल और भव्य चुनरी चढ़ाई जाती है, भजन मंडली बाहर से आती है और चारों तरफ माँ की जयकारा गूंजती हैं,,,मन आह्लादित रहता है,,,आप कहेंगे ये तो कल है और मैं आज ही बता रही हूँ, आज ही मन में इतनी खुशी है की मैं खुद को रोक नहीं पायी,,,,पूरे वर्ष माँ के आशीर्वाद से ही मन चिंता मुक्त होता है,

कल दुखद समाचार यश चोपड़ा जी का डेंगू से निधन ,,,और मैं अभी इसी

बीमारी से उबरी थी,,,मन में भय बिलकुल नहीं था उस समय जब मैं

बीमार थी मगर अब सुन कर ऐसा लगता है क्या इतना भयावह है ये बीमारी और माँ को धन्यबाद,,,की मैं आज उनकी पूजा करने में सछम हूँ, माँ तो सबकी माँ है, उन्हें अपनी माँ की तरह पुकारिए, अगर हमने कोई गलती की है तो बच्चे की तरह ही माँ से छमा मांगिये, वो मुस्करा कर

हमें अभयदान देंगी...लेकिन याद रहे वो जगत माँ है और हम त्रिन के समान, फिर भी हमें उनका स्नेह प्राप्त है,,,इसीलिए मन की श्रध्हा

कहीं भी कम नहीं होनी चाहिए,,,,जिसका दूसरा नाम विशवास भी है...

                जय माता दी

शनिवार, 20 अक्टूबर 2012

आज रविवार नवरात्री का सातवाँ दिन (सप्तमी )


आज रविवार माँ दुर्गा का सातवाँ दिन, सुबह से हल्की हल्की बारिश है,
मौसम बहुत सुंदर है, आदतन सूरज निकलने के बाद उठी हूँ, राजन जी ने माँ का श्रृंगार कर दिया था , स्नान के बाद मैंने भी पूजा और हवन किया, मन को अजीब सी स्फूर्ति मिलती है, माँ को नजर भर कर देखा, बहुत सुंदर लग रही थी, आज उनका वस्त्र हलके बैगनी रंग का था, मगर मोबाइल की फ़्लैश लाइट ने मिलकर उसे आसमानी बना दिया, क्या चमत्कार है, अगर मैं षष्ठी तक उनके वस्त्रों का वर्णन किया होता तो कितना अच्छा होता,


शहद दही, घी का चरणामृत बहुत अच्छा लगता है और सूखे  मेवे का प्रसाद, माँ को बहुत पसंद है, माँ शब्द में कितनी शक्ति है हमें बस सोच कर स्फूर्ति दायक स्रोत बन जाता है, हर भारतवासी धन्य हो जाता है माँ की पूजा करने से , माँ का आशीर्वाद हो सब पर, और एक सन्देश ,,,हर  धर्म के लिए,...गाय की रछा करें, उन्हें पानी पिलायें,,,,और उनके हनन का विरोध करें , मन से सोच कर देखें गाय हमारे लिए कितनी जरूरी हैं , जितना रक्त है उसमे सबसे बड़ा श्रेय गाय के दूध को ही जाता है,,,,जय माता दी .....आप सबका स्नेह और आशीर्वाद जरूरी है,,,,वन्दे मातरम



शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2012

नवरात्रि का पांचवां दिन,,,,(पंचमी)

आज सुबह से ठंडी हवा चल रही है, मौसम ठंडा है, वही सुबह की मेरी दिनचर्या , राजन तो नवरात्रि की पूजा में व्यस्त रहते हैं, नवरात्रि हमारे लिए विशेष रहती भी है,,,क्योंकि हम अयोध्यावासी माँ दुर्गा के भक्त हैं , कोई विशेष कारन नहीं है मगर जब तकलीफ आती है तो सबसे पहला शब्द "माँ" ही निकलता है ,और माँ शब्द के बाद कुछ बाद बचता भी तो नहीं बस माँ की खूबसूरत मूर्ती , मूर्ति से मुझे याद आया हमरे घर के मंदिर में माँ दुर्गा की मूर्ती जो हमने अयोध्या से खरीदी थी , उनके वस्त्र और मुकुट भी वही से खरीदे थे,,,मगर अब हर नवरात्र में माँ के १० से १२ वस्त्र सिलते हैं और पूरे वर्ष माँ इन्ही वस्त्रों को पहनती हैं और इस बार तो हमें उनके लिए दो मुकुट भी मिल गए,,,वो जो भी पहनती है सब कुछ उन पर बहुत सुंदर लगता है..आपको पता है माँ के चेहरे को ध्यान से दखती हूँ तो कभी लगता है वो मंद मंद मुस्करा रही हैं मगर कभी कभी शांत रहती हैं,,,जाने क्या रहस्य है उनके चेहरे का,,,हाँ आज पांचवा दिन है और सुबह उठकर मेरे पति राजन द्वारा पहनाये गए उनके वस्त्रों को देखती हूँ फिर, उनकी पूजा, हवन सब मैं भी इस क्रिया को आगे बढाती हूँ,,,,बैंगलोर में एक स्थान दूसरे स्थान से बहुत दूर है मगर त्यौहार तो सभी मानते हैं,,,,षष्ठी के बाद माँ के दर्शन की प्रक्रिया प्रारंभ होगी,,,ऑफिस के बाद समय मिलेगा तो हम भी जायेंगे माँ के दर्शन को ....,माँ तो माँ है हमारी आपकी पूरे विश्व की....आशा है आप सब भी इसी तरह माँ की पूजा करते होंगे,,,,जय माता दी,,,,

गुरुवार, 18 अक्टूबर 2012

लम्बी बीमारी के बाद आज ऑफिस समय पर पहुँची मैं,,वहाँ भी मेरे द्वारा स्थापित छोटा सा मंदिर है
आज इतने दिन बाद मैंने वहाँ पूजा की, घर से फूल , हरी दूब ( जो गणेश जी को प्रिय है ) तुलसी दल जरूर ले जाती हूँ, मगर अगरबत्ती वही ऑफिस वाले....अगर मुझे सुगंध पसंद नहीं तो मेरे भगवान् को कैसे
पसंद आएगी, फिलहाल पूजा करनी थी कर दी मैंने मगर खुशबू से वंचित थी मैं, चलो पूजा तो किया थोड़ी
शांति मिली मुझे,,,दिन भर काम में , शाम को बिग बॉस , बिग बॉस,,,,मजा आ गया,,,,,,जय हो

शनिवार, 6 अक्टूबर 2012

कर्नाटका बंद

आज ऑफिस बंद है। कुछ तब्दीलियों से मन  खिन्न था , ऑफिस  शिफ्ट होने   जा रहा  है , दूरी बहुत है नए ऑफिस की -काम में कमी नहीं है , मगर नयी शुरुआत का मन है   मेरी  आज और कल छुट्टी है थोड़ा मन शांत है। राजन भी घर पर ही हैं आज  उनके ब्योसाय की supply बंद है , कल टेम्पो वाले को  लौटना पडा  था। रास्ता रोको आन्दोलन कल से जारी था।।खैर- सब ठीक है पानी की कमी तो है ही मगर ये दछिन भारत वाले पानी की बर्बादी भी  करते हैं सुबह सुबह घर के बाहर पांच बाल्टी पानी से धो कर   रंगोली बनाना जरूरी है, किसी भी त्यौहार में पूरा घर  सामान सहित साफ़ करना ..अब पानी तो चाहिए ही,,,,खैर,,, अपुन को क्या ,केबल भी बंद है आज।।।चलो छुट्टी  मिली न्यूज़ चैनल चैनल वालों की  चीखों से ,  जितना   पैसा  खायेंगे  उतना ही जोर से चिल्लायेंगे ...खैर अपुन को क्या      आज  अभी तक ,,,,,,,