आज दिन भर लाइट गुल ही रही
रात में बादलों की रोशनी थी
ज़रा हवा और मच्छरों का तमाशा जारी
सभी बाहर धरने की तरह बैठे थे
भूख की दस्तक नागवार लग रही थी
मोमबत्ती में dinner बहुत मुसीबत से भरा
एक निवाला भी नहीं ठीक से ले पाए हम
जैसे तैसे ऐसे ही उठना ही पडा
(और जिस बात के लिए लिखा मैंने -आज देखा मैंने ढेर सारे जुगनू )
बाहर इतना अंधेरा मगर हाथ में जुगनू
जिसको भी देखो यूँ ही लिए फिरता है
जलते बुझते हुए कीमत की तो बात ही क्या
रोशनी से बेखबर हर कोई अपने जुगनू
पे नजर रखता है
रात में बादलों की रोशनी थी
ज़रा हवा और मच्छरों का तमाशा जारी
सभी बाहर धरने की तरह बैठे थे
भूख की दस्तक नागवार लग रही थी
मोमबत्ती में dinner बहुत मुसीबत से भरा
एक निवाला भी नहीं ठीक से ले पाए हम
जैसे तैसे ऐसे ही उठना ही पडा
(और जिस बात के लिए लिखा मैंने -आज देखा मैंने ढेर सारे जुगनू )
बाहर इतना अंधेरा मगर हाथ में जुगनू
जिसको भी देखो यूँ ही लिए फिरता है
जलते बुझते हुए कीमत की तो बात ही क्या
रोशनी से बेखबर हर कोई अपने जुगनू
पे नजर रखता है



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